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कानपुर, 24 जुलाई 2023: रविवार दिनांक 23 जुलाई को आईआईटी कानपुर के आउटरीच सभागार में प्रसिद्ध ऑडियो प्लेटफार्म गाथा जो आईआईटी कानपुर के राजभाषा प्रकोष्ठ और शिवानी केंद्र के साथ कार्यरत है, के चार वर्ष पूरे होने पर गाथा महोत्सव के चतुर्थ संस्करण का आयोजन किया गया। आयोजन का शुभारंभ आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने दीप प्रज्वलन करके किया। उन्होंने कहा की गाथा पूरे भारतीय साहित्य को देश के कोने कोने में पहुंचाने में अभूतपूर्व कार्य कर रहा है। गाथा और आईआईटी का साथ बहुत लंबे समय तक रहने वाला है। कार्यक्रम में प्रथम सत्र में उत्कर्ष अकादमी के निदेशक डॉ प्रदीप दीक्षित ने सोशल मीडिया के युग में बौद्धिक और सामाजिक चुनौतियां विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें सोशल मीडिया को लेकर अपनी प्राथमिकताएं स्वयं तय करनी होंगी। अन्यथा वह दिन दूर नहीं है जब सोशल मीडिया हमारे असली अस्तित्व को खा जाएगा। इसके बाद प्रसिद्ध अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा ने अपनी चर्चा के दौरान कहा कि भारत कहानियों का देश है। कहानियां बिखरी पड़ी हैं बस निर्माताओं को थोड़ा शोध और मिट्टी से जुड़ने की जरूरत है। सिनेमा में मानवीय मूल्यों को यदि जोड़ा जाएगा तो सिनेमा का स्तर निश्चय ही बहुत ऊपर जाएगा। तीसरे सत्र में प्रसिद्ध साहित्यकार अनामिका जी, कानपुर की कवयित्री एवं अध्यापिका कमल मुसद्दी जी और साहित्यकार लता कादम्बरी जी ने चर्चा करते हुए वर्तमान भारतीय परिपेक्ष्य में महिला सशक्तिकरण पर चर्चा की और यह कहा कि सशक्तिकरण जब तक पंक्ति में खड़ी हर आखिरी महिला तक नहीं पहुंचता तब तक इस तरह की चर्चाएं बेकार हैं। सच्चे अर्थों में सभी अभियान तभी सफल होंगे जब ग्रामीण अंचल में जागरुकता होगी और शिक्षा का प्रसार होगा। इसके उपरांत जमील गुलरेज की अगुवाई में मुंबई से आई कथा कथन की टीम ने मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ‘कफन’ का सजीव नाट्य रूपांतरण करके सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। अगले सत्र में संस्कृत, नवाचार और प्रगति पर चर्चा करते हुए प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम ने कहा कि संस्कृत में प्रगति की अनेकों संभावनाएं हैं बस तलाशने की देर है। प्रख्यात लेखक नवीन चौधरी जी ने कहा कि संस्कृति की जड़ें पकड़े बिना प्रगति की बात करना बेमानी है। हिंदी अकादमी दिल्ली के उप निर्देश ऋषि कुमार शर्मा जी ने कहा कि नवाचार ऐसा हो की संस्कृति का मूल बना रहे। संस्कृति का मूल त्याग देने पर नवचार और प्रगति दोनों ही बाधित हो जाएंगे। सत्र का संचालन आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर समीर खांडेकर ने किया। अगले आयोजन में ओपन माइक का आयोजन हुआ जिसमें सात नवोदित रचनाकारों ने पल्लवी गर्ग के संचालन में काव्यपाठ किया। इसके उपरांत 12 से अधिक चर्चित पुस्तकों की रचयिता मनीषा कुलश्रेष्ठ जी से कहकशां के संस्थापक आनंद कक्कड़ जी ने संवाद किया। मनीषा जी ने कहा कि कोई भी कहानी आपको निश्चित हल नहीं देती है बल्कि वह आपके जीवन के उलझे ताने बाने को सुलझाकर ऐसे आपके सामने ला खड़ा करती है कि आप चयन कर सकें अब अब जीवन किस दिशा में जाना हैं। प्रसार भारती के पूर्व निदेशक शशि शेखर वेमपति जी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के सौ एपिसोड को विषय बनाकर लिखी गई पुस्तक ‘कलेक्टिव स्पिरिट, कंक्रीट एक्शन’ पर चर्चा करते हुए मन की बात कार्यक्रम के भारतीय समाज पर पड़े प्रभाव पर चर्चा की और बताया कि कैसे मन की बात कार्यक्रम ने भारतीय जन जीवन को प्रभावित किया है, कैसे लोगों में जागरूकता आई हैं और किस प्रकार भारतीय समाज अपनी सोच बदल रहा है। वाराणसी से आए अमित श्रीवास्तव जी ने जटायु की सद्गति विषय पर नृत्य नाटिका प्रस्तुत कर सभी को सम्मोहित किया। लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी की टीम ने कविता सिंह जी की अगुवाई में श्रावणी संगीत, कजरी आदि सुनाकर सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। अंतिम प्रस्तुति के रूप में कवि सम्मेलन प्रसिद्ध संचालक डॉ शिव ओम अंबर जी के संचालन में आरंभ हुआ। अंबर जी ने पढ़ा “स्नेह की संहिता रही है मां, भागवत की कथा रही है मां, इस मुझे चैन से सुलाने को, मुद्दतों रतजगा रही है मांI” प्रसिद्ध शायद अजहर इकबाल ने पढ़ा: लखनऊ से आए डॉ सर्वेश अस्थाना ने कहा कि, “जग को आंख खोलकर देखा तो हम खुद ही बुद्ध हो गए।“ कार्यक्रम में आईआईटी कानपुर के प्रो समीर खांडेकर जी के चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसे लोगों ने खूब सराहा। अंत में गाथा के सह संस्थापक निदेशक अमित तिवारी जी ने कार्यक्रम सभी का धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम को अगले वर्ष तक के लिए स्थगित किया। कार्यक्रम का संचालन विश्वनाथ विश्व और डॉ अल्पना सुहासिनी ने किया I इस अवसर पर आईआईटी कानपुर के प्रो ब्रज भूषण जी, प्रोफेसर कांतेश बलानी जी, प्रो अर्क वर्मा जी, प्रो राकेश शुक्ला जी, श्रवण शुक्ला, विनोद श्रीवास्तव, राधा शाक्य, समेत सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे। आईआईटी कानपुर के बारे में: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर की स्थापना 2 नवंबर 1959 को संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। संस्थान का विशाल परिसर 1055 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें 19 विभागों, 22 केंद्रों, इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिजाइन, मानविकी और प्रबंधन विषयों में 3 अंतःविषय कार्यक्रमों में फैले शैक्षणिक और अनुसंधान संसाधनों के बड़े पूल के साथ 540 पूर्णकालिक संकाय सदस्य और लगभग 9000 छात्र हैं । औपचारिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान उद्योग और सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सक्रिय रहता है। अधिक जानकारी के लिए www.iitk.ac.in पर विजिट करें आईआईटी कानपुर 23 जुलाई, 2023 को चौथे गाथा महोत्सव की मेजबानी करेगा
कानपुर, 14 जुलाई 2023: प्रसिद्ध ऑडियो प्लेटफार्म गाथा और आईआईटी कानपुर के राजभाषा प्रकोष्ठ और शिवानी केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 23 जुलाई 2023 को गाथा के चार वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में चतुर्थ गाथा महोत्सव के रूप में एक लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन आईआईटी कानपुर के आउटरीच सभागार में होने जा रहा है। वर्तमान की भागमभाग की जिंदगी में जब पुस्तके जनसामान्य की शैली से अप्रासंगिक होने लगी है तब लोगों को साहित्य से जोड़े रखने में गाधा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। गाथा के माध्यम से हिंदी के प्रसिद्ध रचनाकारों को आप बार बार लगातार सुन सकते हैं। वहीं राजभाषा प्रकोष्ठ और शिवानी केंद्र हिंदी साहित्य को देश की सर्वश्रेष्ठ मेधा तक न सिर्फ पहुंचा रहे हैं बल्कि उन्हें हिंदी के प्रति समर्पित भाव से जोड़कर हिंदी का कोष समृद्ध करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं I गाथा महोत्सव का एकदिवसीय आयोजन जो सुबह 09.45 बजे आरंभ हो जाएगा साहित्य के अनेक आयामों से पूरे दिन दर्शकों को आनंदित भी करेगा और हिंदी साहित्य के प्रति उनकी रुचि में अभिवृद्धि भी करेगा I साहित्य, संस्कृति और फिल्म जगत की नामचीन हस्तियों से संवाद के दौर बहुत सी नई जानकारियाँ तो प्रदान करेंगे ही साथ ही नए दृष्टिकोण भी रचने में सुगमता होगी। चर्चा करने वालों में, मुख्य सचिव सकृति एवं पर्यटन मुकेश मेश्राम जी, प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा जी, सुप्रसिद्ध उपन्यकार मनीषा कुलश्रेष्ठ जी. फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम जी, लेखक नवीन चौधरी जी, हिंदी अकादमी के सचिव ऋषि कुमार शर्मा जी जैसे लोग एक ही मंच पर होंगे। वहीं अमित श्रीवास्तव की नृत्य नाटिका, ओपन माइक, कथाकथन और श्रावणी संगीत जैसे कार्यक्रम सम्मोहन के उच्चतम शिखर तक जनसामान्य को ले जाने में सक्षम होंगे। कार्यक्रम का समापन प्रत्येक वर्ष की भांति कवि सम्मेलन से होगा जिसमें देश के सबसे वरिष्ठ और चर्चित संचालक डॉ शिव ओम अंबर जी, प्रसिद्ध गजलकार अजहर इकबाल जी, डीडी उर्दू के निर्देशक नाज इकबाल जी, प्रसिद्ध हास्यकवि डॉ सर्वेश अस्थाना जी और चर्चित गीतकार डॉ भावना तिवारी जी अपनी कविताओं से सभी को आनंदित करेंगे। कार्यक्रम सुबह 09.45 बजे से आरंभ होकर शाम को 8.00 बजे तक चलेगा। पूरे दिन एक से बढकर एक आयोजनों की श्रृंखला में आनंद लेने के लिए सभी नगरवासी निशुल्क प्रवेश पा सकते हैं। कार्यक्रम में प्रवेश हेतु मात्र रजिस्ट्रेशन करना है जिसकी कोई फीस नहीं है। अधिक जानकारी के लिए: https://gaathaonair.com/gaatha-mahotsav-2023/ आईआईटी कानपुर के बारे में: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर की स्थापना 2 नवंबर 1959 को संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। संस्थान का विशाल परिसर 1055 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें 19 विभागों, 22 केंद्रों, इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिजाइन, मानविकी और प्रबंधन विषयों में 3 अंतःविषय कार्यक्रमों में फैले शैक्षणिक और अनुसंधान संसाधनों के बड़े पूल के साथ 540 पूर्णकालिक संकाय सदस्य और लगभग 9000 छात्र हैं । औपचारिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान उद्योग और सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सक्रिय रहता है। अधिक जानकारी के लिए www.iitk.ac.in पर विजिट करें |
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